जाने चन्द्रमा कैसे बना ,उत्पति,इतिहास,जानकारी जाने हिंदी में

चन्द्रमा की जन्म,इतिहास जानकारी 

( Moon Birth History Information )

                               

एस्ट्रोनॉमी के अनुसार जो पिण्ड (Body ) सूर्य की चारों ओर चक्कर लगाता है ,उसे ग्रह कहा जाता है। और जो पिण्ड ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाता है उसे उपग्रह कहा जाता है। जैसे चन्द्रमा जो ग्रहों की  चारों ओर चक्कर काटती है। और ये पृथ्वी की भी चक्कर काटने वाली एक मात्र उपग्रह है। तो आइए चन्द्रमा के बारे में निचे विस्तार से जानते है।

Content:-

 1. चन्द्रमा कब और कैसे बना

 (When and how the moon formed)

 2. चन्द्रमा का इतिहास और कुछ जानकारी 

( History of Moon and Some Imformation )

3. चन्द्रमा की आंतरिक संरचना 

(Internal Structure of the Moon )

4. चन्द्रमा के बारे में महत्वपूर्ण (G.K) जानकारी

 ( Important Information About Moon )


कब और कैसे बना चन्द्रमा 

(When and how the moon formed)

वैज्ञानिक के अनुसार कहा जाता है की 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व धरती और थिया ग्रह ( मंगल ग्रह के आकर का ग्रह )  के बिच भयानक टक्कर हुई जिससे मलबा (कंकड़ ) उतपन हुआ। जो की इसके अवशेषों (Remains) से बना था। यह मलबा शुरू में पृथ्वी की कक्षाओं में घूमता रहा ,उसके बाद धीरे -धीरे एक जगह पर एकत्रित हो गया और चाँद के आकार जैसा दिखने लगा। अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाये गए  पत्थरों की जांच से पता यह चला है की चन्द्रमा और पृथ्वी की उम्र में कोई फर्क नहीं है। इसकी चट्टानों में टाइटेनियम (रासायनिक चिन्ह -Ti ) अधिक मात्रा में पाया गया है। एक और परिकल्पना विखंडन सिद्धांत पर आधरित यह है की पृथ्वी की सतह के लगभग 2900 किलोमीटर निचे एक नाभिकीय विखंडन हुआ था। जिससे पृथ्वी की धूल और पपड़ी अंतरिक्ष में उर गयी। और इसके मलबे एकत्रित होकर चाँद को जन्म दिया। लेकिन ये सिद्धांत विवादित है। 


चन्द्रमा का इतिहास और कुछ जानकारी 

( History of Moon and Some Imformation )

जैसा की हम सब जानते है चन्द्रमा पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है। और यह सौरमंडल का पांचवा सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की औसत दुरी 3,84 ,400 किलोमीटर है। जिसका मतलब है  पृथ्वी और चन्द्रमा के मध्य पृथ्वी के आकार के 30 ग्रह आसानी से फिट हो सकते है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिनों में पूरा करता है। और अपनी आँखों के चारो ओर एक पूर्ण चक्कर भी 27.3 दिनों में पूरा है। इसी कारन चन्द्रमा का एक हिस्सा या चेहरे  हमे पृथ्वी की ओर होता है। अगर चन्द्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी  देखा जाये तो पृथ्वी साफ़ -साफ़ अपनी आँखों पर घूमता हुआ दिखेगा , लेकिन असमान में इसकी स्थिति हमेशा स्थिर रहेंगी इसका मतलब पृथ्वी को आप अपने मन चाहे वर्षो तक देखते रहे वह अपने जगह से हटने वाला नहीं है।


पृथ्वी -चन्द्रमा एव सूर्य ज्योतिति के कारन "चंद्र दशा " लगभग 29.5  दिन में बदलते रहता है। चन्द्रमा अपने आकार के अनुसार स्वामी ग्रह के संबंध में यह सौरमंडल में  सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह कहा जाता है। जिसका विषाणु पृथ्वी का एक चौथाई और द्रव्यमान 1/81 है। वृस्पति के सैटेलाइट लो के बाद दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह चन्द्रमा है। 

समुंद्री ज्वार (High Tide) और भाटा ( Reflux) चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण के आते है। आसमान में सूर्य के बाद दूसरा सबसे ज्यादा चमकने वाला निकाय चन्द्रमा है। चन्द्रमा की तत्कालीक कक्षीय दुरी पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है ,इसलिए आसमान में सूर्य और चन्द्रमा का आकार सामान दिखता है। और वह पृथ्वी से चन्द्रमा का 59 % भाग दिखता है।चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बिच से गुजरता है ,जब सूर्य व पृथ्वी के बिच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढंक जाता है। इस घटना को सूर्यग्रहण कहते है।  


 सोवियत राष्ट्र की लुना -1 पहला अंतरिक्ष यान था जो की चन्द्रमा के पास से गुजरा था। लेकिन लुना  -2 पहला यान था जो चन्द्रमा के धरती पर उतरा था 1968 में सिर्फ नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय के लिए उपलब्धिया हासिल की थी। उसके बाद मनवयुत्त "चंद्रा परिकर्मा मिशन" की शुरुआत अपोलो -8 के साथ हुई थी। 1969 से 1972 के बीच में छः मानवयुत्क यान से चन्द्रमा की जमीन पर कदम रखा था। उस सब में एक अपोलों -11 नामक यान भी था जो सबसे पहले चंद्रमा के जमीन पर क़दम रखा था। इस मिशन में लौटते समय 380 कि ग्रा से भी अधिक चंद्र -चट्टानों को साथ लाया ,जिसका इस्तमाल चन्द्रमा का उत्पति ,और उसकी आंतरिक संरचना का निर्माण और उसके बाद के इतिहास की विस्तृत और भूवैज्ञानिक समझ को विकसित करना था। ऐसा माना जाता है की अरबों साल पहले एक बड़ा ग्रह पृथ्वी से टकराया था। इस टक्कर के फल -स्वरूप चाँद का जन्म हुआ। 1972 में अपोलों -17 मिशन के बाद से चाँद का दौरा सिर्फ मानव रहीत अंतरिक्ष यान से ही किया गया था ,जिसमे से विशेष रूप से अंतिम सोवियत लूनोखोद रोवर द्वारा किया गया था।  


2004 के बाद भारत ,जापान ,चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ,यूरोपियन अंतिरिक्ष एजेंसियो  से प्रत्येक ने चन्द्रमा पर अपना -अपना यान भेजा था। 2008 में चंद्रयान अंतरिक्ष यान ने चन्द्रमा की सतह पर जल -बर्फ का खोज किया जो नासा ( NASA -National Aeronautics and Space Administration )द्वारा  पुष्टि की गयी थी। चन्द्रमा के भविष्य के लिए मानवयुक्त मिशन योजना सरकार के साथ निजी वित्त पोषित प्रयासों से बनाया गया है। 'चन्द्रमा बाह्मा अंतरिक्ष संधि ' के तहत (Under ) रहता है जिसके कारन यह शांतिपूर्ण उद्देश्यो की खोज के लिए सभी राष्ट्रों के लिए स्वंत्रत रहता है। 


 चन्द्रमा की आंतरिक संरचना 

(Internal Structure of the Moon )     

चन्द्रमा एक विभेदिये निकाय है ,जिसका भुरसायनिक रूप से तीन भाग क्रष्ट ,मेटल और कोर है। और चन्द्रमा का 240 किलोमीटर त्रिज्या का लोहे की बहुलता युक्त ( Plentiful ) एक ठोस अंतररे ( Gaps ) कोर है। और आंतरिक कोर  का बाहरी भाग मुख्य रूप से लगभग 300 किलोमीटर के साथ तरल लोहे से बना हुआ है। उस कोर के चारों ओर 500 किलोमीटर की त्रिज्या के साथ एक आंशिक रूप से पिघली हुई सीमा परत है। चाँद की खुरदरी सतह पर बेहद अस्थिर ( जो स्थिर न हो ) और हल्का वायुमंडल होने की संभावना व्यक्त की गयी है। चन्द्रमा के धरती पर धूल चिपचिपा होता है ,जिसके कारन वैज्ञानिकों के उपकरण -यंत्र ख़राब हो जाते है। अगर चन्द्रमा पर कोई अंतरिक्ष यात्री जाता है तो उसके पैर (Foot) वहां के जमींन पर धस सकते है और कपड़े जल्दी धूलकण से भर जायेगा फिर उसे निकलना मुश्किल होता है। 


चन्द्रमा के बारे में महत्वपूर्ण (G.K) जानकारी 

( Important Information About Moon )

. पृथ्वी और चन्द्रमा की माध्य दुरी 384,365  किलोमीटर है। चन्द्रमा पृथ्वी का एकलौता उपग्रह है। . चन्द्रमा पर धूल के मैदान को शांतिसागर कहते है और यह चंद्रमा का पिछला भाग है जो अंधकारमय होता है।

 पृथ्वी से न्यूतम 3,64,000 दुरी किलोमीटर है। 

. पृथ्वी से अधिकतम दुरी  4,06,000 किलोमीटर है।  

. चन्द्रमा सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है। 

. इसके प्रकाश पृथ्वी पर आने में 1.3 सेकंड लगता है। 

.  चन्द्रमा की सतह और उसकी आंतरिक सतह का अध्यन करने वाला विज्ञानं ' Selenology ` कहलाता है। 

.  चन्द्रमा ,पृथ्वी की एक परिकर्मा लगभग 27 दिन 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में वह अपने अक्ष पर भी एक घूर्णन करता है। यही कारन है की चन्द्रमा का एक भाग सदैव दिखाई देता है और पृथ्वी से चन्द्रमा का 57 % भाग देखा जा सकता है।  

चन्द्रमा को जीवाष्म ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। 

. चन्द्रमा का उच्त्तम पर्वत 'लिबनिट्ज पर्वत' को कहा जाता है जो 35000 फुट ऊंचा है ,यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। 

. चन्द्रमा को पृथ्वी की चारों ओर घूमने में 27 घंटा 7 मिनट 43 सेकंड लगता है। 

चन्द्रमा पर से लाये गए चट्टानों में अधिक मात्रा में टाइटेनियम पाया गया है। 

चन्द्रमा पर रात और दिन के तापमान का अंतर काफी अधिक होता है ! दिन का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान -180 डिग्री सेल्सियस होता है। 

 भारत द्वारा अक्टूबर 2008 में चंद्रयान -1  की खोज से चन्द्रमा की  जमींन पर जल -बर्फ प्राप्त हुए है। अमेरिका के अंतरिक्ष एजेंसी NASA के उपकरण भी चाँद पर पानी होने की पुष्टि की है। 

चन्द्रमा का आकार पृथ्वी के आकार का लगभग 1 /4 है।  

.  चन्द्रमा का व्यास 3478 किलोमीटर है।