सिकंदर महान का इतिहास
                         

 विश्व विजेता के नाम से मशहूर सिकंदर इतिहास का वह पहला राजा था जिसने पूरी दुनिया को जितने का सपना देखा था। दुनिया जितना कितना कठिन है ये कोई सिकंदर से सीखे पर ठान ले तो कुछ भी कठिन नहीं है इसी लिए तो सिकंदर को पूरी दुनिया सिकंदर ,महान ,के नाम से जानती है। पर एक बार सिकंदर भी युद्ध में प्रभावित हुआ वह थे भारत के राजा पोरस।[Sikandar History in hindi ]और पढ़े निचे। 

1. जीवन की शुरुआत (जन्मभूमि )
2.  कैसे ली थी शिक्षा 
3.  युद्ध कौशल में माहिर 
4.  अलेक्जेंडर का सत्ता अधिग्रहण [Alexandar as a king]
5.  विजय अभियान 
6.  सिकंदर का भारत पर आक्रमण कब और क्यों 
7.  सिकंदर का मृत्यु कब हुआ और कैसे हुआ  

जीवन की शुरुआत (Hindi me)
                         

 अलेक्जेंडर जिसे सिकंदर भी कहा जाता है और मानवता का रखवाला भी कहा जाता है। सिकंदर का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में "पेला "में हुआ था जो प्राचीन नेपोलियन की राजधानी है। अलेक्जेंडर के पिता का नाम ,फिलिप द्रितीय ,था जो मेक्डोनिया और ओलम्पिया के राजा थे और इसके पड़ोसी राज्य की राजकुमारी ,ओलम्पिया, उनकी माँ थी। सिकंदर की एक बहन भी थी। 

शिक्षा कैसे ली थी(Sikandar education)
                           

सिकंदर ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने रिस्तेदार दी स्टर्न लियोनिडास ऑफ़ एपीरूस से ली थी। जिसे उसके पिता(फिलिप ) ने अलेक्जेंडर को गणित,घुड़सवारी और धनुर्विद्या सिखाने के लिए नियुक्त किया था। अलेक्सजेंडर के नए टीचर लाइसिमेक्स थे,जिन्होंने उसे युद्ध की शिक्षा दी थी। जब सिकंदर 13 वर्ष का हुआ तब सिकंदर के पिता ने सिकंदर के लिए एक निजी शिक्षक एरिस्टोटल को चुना। एरिस्टोटल को भारत का अरस्तु कहा जाता है। अगले 3 वर्षो तक अरस्तु ने सिकंदर को साहित्य की शिक्षा और वाक्पटुता भी सिखाई। Sikandar कम उम्र से ही धुंरधर था। 

युद्ध कौशल में माहिर 
सिकंदर ने 12 वर्ष की उम्र में घुरसवारी अच्छे से सिख ली थी और उसने ये बात अपने पिता को तब बताई जब वह एक परिशिक्षित घोड़े ब्युसेफेलास को अपने काबू में किया। इस घोड़े को कोई भी मंत्री अपने काबू में नहीं कर पा रहा था जो सिकंदर ने कर दिखाया सिकंदर के लिए ये काम थोड़ा मुश्किल था पर अंत: में उसने घोड़े को काबू कर दिखाया था। सिकंदर के पिता को उसपे गर्व हुआ था ,उसके बाद सिकंदर ने अपने जीवन में कई युद्धों में ब्युसेफेल्स नामक घोड़े पर सवारी की और अंत तक वह घोड़ा उनके साथ ही रहा। जब सिकंदर 16 वर्ष का हुआ तो उसके कौशल को देख उसे मैक्डोनिया राज्य पर अपनी जगह शासन करने के लिए छोर दिया गया था, 
                                     

मैक्डोनिया पर खतरा तब आया जब मैक्डोनिया की आर्मी ने थ्रेस में आगे बढ़ना सुरु किया और ,मेडी की थ्रशियन जनजाति ने मैक्डोनिया के उत्तर -पूर्व सिमा पर विद्रोह कर दिया जिससे देश के लिए खतरा बढ़ गया। सिकंदर उसी समय सेना एकतृत की और इसका इस्तमाल विद्रोहियो के सामने सुरु किया,और तेजी से करवाई करते हुए मेडी जनजाति को हरा दिया। और इनके किले पर कब्ज़ा कर लिया और इस किले का नाम उसने अपने नाम पर एलेक्जेड्रोपॉलिस रखा। 2 वर्ष बाद 338 ईसा पूर्व में फिलिप ने मैक्डोनियन आर्मी के ग्रीस में घुसपैठ करने पर अपने बेटे को आर्मी में सीनियर जनरल की पोस्ट दे दी। इस युद्ध में ग्रीक की बड़ी हार हुई इससे से सिकंदर के नाम पुरे विश्व में प्रचलित होने लगा। 

4. सिकंदर का सत्ता अधिग्रहण [Alexandar as a King]
सिकंदर की बहन ने 336 इसा पूर्व में मोलोसियन के राजा से सादी की, इसी दौरान एक महोत्सव में पोसनियास ने राजा फिलिप द्रितीय की हत्या कर दी। अपने पिता की मृत्यु के समय सिकंदर  19 वर्ष का था और उसमें सत्ता हासिल करने का जोश और जूनून चरम पर था। उसने मैक्डोनियन आर्मी के शसयगार के साथ जनरल और फौज को इक्कठा किया ,जिनमे वो सेना भी शामिल थीं जो केरोनिया से लड़ी थी। सेना ने सिकंदर को सम्मानित राजा घोसित किया और उसकी राजवंश के अन्य वारिसों की हत्या करने में मदद की।
                                            

ओलिम्पिया ने भी अपने पुत्र की इसमें मदद की ,उसने सिकंदर की पिता और क्लेयोपटेरा  की पुत्री  मार दिया और क्लेयोपटेरा को आत्महत्या करने  मजबूर कर दिया।अलेक्जेंडर के सामन्ती राजा होने के कारन उसे कोरिंथियन लीग पर निंयत्रण ही मिला बल्कि ग्रीस के दक्षिणी राज्यों ने फिलिप द्रुतिये की मृत्यु का जश्न मानना भी सुरु कर दिया और उन्होंने भिवाजित और स्वतंत्र अभिवयक्ति सुरु की Sikandar ki history में सिकंदर के सत्ता में आते ही उसने पूरी दुनिया में अपना दबदबा कायम कर लिया था। 


विजय अभियान 
सिकंदर (अलेक्जेंडर )जब अपने उत्तरी अभियान को खत्म करने के करीब था ,तब एक गुप्तचर द्वारा सन्देश मिली की ग्रीक राज्य के शहर थेब्रेस ने मैक्डोनियन फौज को अपने किले से भगा दिया है अन्य (दूसरे ) शहरो के विद्रोह के डर से सिकंदर (अलेक्जेंडर ) ने अपनी आर्मी(सेना ) के साथ दक्षिण का रुख कर लिया। इस सब घटना के दौरान ही सिकंदर के जनरल परनियन ने एशिया की तरफ अपना मार्ग (रास्ता ) बना लिया सिकंदर और उसकी आर्मी थेब्रेस में इस तरह से पौहंची की वहा की सेना को आत्म -रक्षा तक का मौका नहीं मिला। 
                                          

सिकंदर वही से एथ्रेस के साथ ग्रीक के अन्य शहरो भी उसके साथ संधि करने के लिए तैयार हो गए। 334 ईसा पूर्व में अलेक्जेंडर ने एशियाई अभियान के लिए नौकायन शुरू किया और वर्ष की वंसत में ट्राय में पंहुचा। अलेक्जेंडर ने ग्रेसियन नदी के पास पर्शियन राजा डारियस तृतीय की सेना का सामना किया ,और उन्हें बुरी तरह पराजित किया। 333 ईसा पूर्व गर्मिओ  सिकंदर की सेना और डारियस सेना के बीच एक बार फिर से युद्ध हुआ। हालांकि की सिकंदर की सेना ज्यादा होने से फिर से उसकी एक तरफ़ा जीत हुई ,और सिकंदर (अलेक्जेंडर ) ने खुद को पार्शिओ का राजा घोषित कर दिया। 


अलेक्जेंडर का अगला कदम एज्पिट को जितना था ,ग़ज़ा की घेराबंदी करके सिकंदर ने आसानी से एज्पिट पर कब्ज़ा कर लिया। और उसने 331 ईसा पूर्व में उसने अलेक्जांद्रिया शहर का निर्माण किया और ग्रीक संस्कृत और व्यापार के लिए  शहर को केंद्र बनाया। उसके बाद सिकंदर ने गोगमेला के युद्ध में पर्शिया को हरा दिया। पर्शियन सेना की हार के साथ ही सिकंदर बेबीलोन का राजा , एशिया का राजा और दुनिया की चारो कोनो का राजा बन गया। उसके बाद सिकंदर का अगला लक्ष्य पूर्वी ईरान था ,जहा सिकंदर ने मैक्डोनियन कालोनी बनायीं और अरिमाजेस में 327 किलों पर अपना राज जमाया। और इसके बाद सिकंदर ने प्रिंस ओकिज्याथेस को पकड़ा और उसकी पुत्री रोक्ज़ाना से विवाह कर लिआ और सिकंदर का राज्य कई वर्षो तक चलता रहा। 


सिकंदर महान का भारत पर आक्रमण 
                              

भारत में सिकंदर की सेना 328 ईसा पूर्व में पोरस की सेना से भिड़ा ,और दोनों की सेना में भयंकर युद्ध हुआ ,सिकंदर की पूरी सेना ने अपना पूरा जोर लगा दिया था। अंत में सिकंदर की जीत हुई। सिकंदर पोरस के पराक्रम से बहुत प्रभावित हुआ और उसे वापस राजा बना दिया। अलेक्जेंडर ने सिंधु के पूर्व  तरफ बढ़ने की कोशिश की ,पर उसके  ने आगे जाने से मना कर दिया और वापस लौटने को कहा। 325 ईसा पूर्व में सिकंदर ने ठीक होने के बाद अपनी सेना  उत्तर की तरफ पर्शियन खाड़ी के सहारे को रुख किया, उस समय बहुत से सेना बीमार पर गए थे कुछ चोटिल हो गए थे तो कुछ की मृतयु हो गयी अपने नेतृत्व और प्रभाव को बनाये रखने के लिए सिकंदर ने अपने  पार्शिया के प्रबुद्ध लोगो को मैक्डोनिया के प्रबुद्ध लोगो से मिलाने को सोचा, जिससे एक शाशक वर्ग बनाया जा सके। और उसी कर्म में सिकंदर ने सुसा में उसने मैक्डोनिया के बहुत से लोगो को पर्शियो की राजकुमारीयो से विवाह करवाई। 


जब सिकंदर ने 10 हजार की संख्या पर्शियन सेना को अपनी सेना में नियुक्त कर लिया ,तो उसने बहुत से मैक्डोनियन सेनाओं को निकाल दिया। इस कारन से सेना का बहुत बड़ा टुकड़ा उससे ख़फ़ा हो गया और उन्होंने ने पर्शियन संस्कृति को अपनाने से मना कर दिया। अलेक्जेंडर ने तब 13 पर्शियन सेना नायको को मरवाकर मैक्डोनियन सेनाओं का क्रोध शांत किया। इस तरह से सुसा में पर्शियो और मैक्डोनिया के मध्य सम्बन्धों को अच्छा बनाने के लिए किया जाने वाला आयोजन सफल नहीं हो सका। 
(Sikndar ki History) में सिकंदर को टक्कर देने वाले भारत के राजा सिर्फ पोरस ही थे जिन्होंने अलेक्जेंडर को अपनी हार सामने याद दिलाई थी। 




सिकंदर का मृत्यु कब हुआ और कैसे हुआ 
                              

सिकंदर की मृत्यु 13 जून 323 BC को बेबीलोन में  मलेरिया रोग के कारन हो गया कुछ लोग बोलते है की उसे विष पीला दिआ  गया। सिकंदर की मृत्यु मात्र 32 वर्ष की उम्र में ही हो गयी। सिकंदर की इतिहास यही तक नहीं,बल्कि इनसे पूरी दुनिया को उनकी कहानी सुनने को मिली।