गौतम बुद्ध का धर्म चक्र और परिवर्तन (Change of Dharma Chakra of Gautam Buddha)

गौतम बुद्ध का धर्म चक्र और परिवर्तन

                      


गौतम बुद्ध का धर्म चक्र और परिवर्तन

गौतम बुद्ध आत्म ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्होंने सारनाथ में अपने पहले 5 शिष्यों को गुरु पूर्णिमा के दिन धर्म के 8 सूत्र बताये जिन्हें अष्टांगिका कहा जाता है। अष्टांगिका का मतलब जीवन सुधारने के 8 कदम। इसे प्रारम्भिक बौद्ध काल चक्र कहते है ,अर्थात समय का चक्र। समय और कर्म का अटूट संबंध है। कर्म का चक्र समय के साथ सदा घूमता रहता है। 

कालांतर में यही धर्म चक्र प्रवर्तन कहलाने लगा। गौतम बुद्ध के उपदेश देने के बाद इस कार्य को धर्म चक्र के आरम्भ का अथवा प्रवर्तन का सूचक माना गया। इसे एक चक्र में आठ तीलियों के रूप में दर्शाया जाने लगा और इसे धर्म चक्र का नाम दे दिया गया। धर्म चक्र के आठ पहिये तथागत बुद्ध के बताये हुए अष्टागिंक मार्ग को दर्शाते है।  उसके बाद अनुयायियों ने 24 आवश्यक गुण निर्धरित किये जैसे की आत्म निंयत्रण ,धैर्य ,श्रद्धा जैसे आदि , बाद में इन्हे भी धर्मचक्र में 24 आरियों के प्रतिक रूप में दर्शाया जाने लगा। अशोक के परस्पर लेखों में भी धर्मचक्र है और अशोक स्तम्भ में यह चक्र 24 आरीयों का है ,इसे ही भारत्त के राष्ट्रीय ध्वज में अपनाया गया है। 

गौतम बुद्ध ने धर्मचक्र पर्वतन करने से पहले ऐसा कोई संकेत नहीं दिया की वह पहले की कोई परम्परा तोड़ कर कोई नया मार्ग निर्मित करने जा रहे है। उन्होंने कहा `एसो धम्मो सनंतनो `अर्थात यही सनातन धर्म है ,जिसे वे फिर से व्याख्यायित कर रहे है। 


 गौतम बुद्ध के मुख्य उपदेश 

हिन्दू -धर्म में वेदों का  स्थान है। बौद्ध धर्म में वही स्थान पिटकों का है। गौतम बुद्ध ने कुछ अपने हाथों से नहीं लिखा था। उनके उपदेशों को उनके शिष्यों ने पहले कंठस्थ (याद किया हुआ ) किया और फिर लिख लिया ,वे उन्हें पेटियों में रखते थे। तो आइए जानते है गौतम बुद्ध के मुख्य उपदेश...


1. मनुष्य को अगर अपने जीवन में खुशियाँ प्राप्त करनी है तो उसे न नो अपने भूतकाल (Past) के बारे में सोचना चाहिए नाही भविष्य (Future) की चिंता करनी चाहिए। मनुष्य को केवल अपने वर्तमान (Present) पर ध्यान देना चाहिए। 

2. मनुष्य को कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योकि मनुष्य को अपने जीवन में क्रोध की सजा नहीं मिलती है बल्कि मनुष्य को क्रोध से ही सजा मिलती है। 

3. दुनिया में ऐसी तीन चीजें है जो कभी छुप नहीं सकती -सूर्य ,चंदमा और सच ये तीनों कभी छुप नहीं सकती। 

4. मनुष्य हजारों लड़ाईया जीत कर कभी विजयी नहीं होता लेकिन वह जिस दिन अपने आप पर विजयी प्राप्त लेता है,उसी दिन वह विजय प्राप्त कर लेता है। 

5. मनुष्य अपने जीवन में कभी भी बुराई को बुराई से नहीं काट सकता लेकिन मनुष्य की बुराईयां उसके जीवन से प्रेम को खत्म कर देता है। 

6. मनुष्य को अपने जीवन में लक्ष्य को पाने से अच्छी उसकी यात्रा होनी चाहिए। जैसे हजारों शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति प्रदान करती है। 

7. सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य सिर्फ दो ही गलतियां कर सकता है पहला या तो वह मनुष्य अपने लक्ष्य का रास्ता शुरू ही नहीं करता हो। दूसरा अपनी लक्ष्य का रास्ता पूरा ही नहीं करता हो। 

8. क्रोधित होने का मतलब है जलता हुआ कोयला किसी दूसरे पर फेंकना। जो सबसे पहले फेकने वाले का ही हाँथ जलेगा। 

9. एक जलते हुए दीपक हजारों दीपकों को जला सकता है फिर भी उस दीपक की रौशनी नहीं कमती। ठीक उसी प्रकार आप में गुण है तो किसी की बुराई करने से समाप्त नहीं हो सकती। 

10. खुशियाँ बाटने से ही बढ़ती है कभी कम नहीं होती। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा दूसरों से खुशियाँ बाटनी चाहिए।  

गौतम बुद्ध के बारे में और अधिक जानने के लिए यहां Click करेHistory of Gautam Buddha.