जाने ताजमहल का इतिहास, शाहजहाँ ने क्यों बनवाया ताजमहल ?

 जाने ताजमहल का इतिहास, शाहजहाँ ने  क्यों बनवाया ताजमहल ?

                  


दुनिया में 7 अजुबा है उसी में एक ताज़महल है जो की भारत देश की उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे स्थित  है-

ये बात है उस बुधवार की शाम मेंआये आंधी तूफ़ान की जो आगरा में तवाही मचा रही था। इस तूफ़ान में 15 लोगों ने अपनी जान गवा दी और 24 लोगों को घायल बताया जा रहा था.इस तूफ़ान में कितनो के जाने चली गयी वही कितनो का काफी नुकशान हुआ। बुधवार को आयी आंधी बारिश के कारन ताज़महल की दो बड़े मीनारें गिर गयी थी वही कितनो का घर की छत भी गिर गयी थी। बताया जा रहा है की तेज हवा बारिश ने ऐसी तबाही लायी की शाहगंज के मस्जिद और मीनारे भी गिरा दिए। आंधी बारिश के कारन ताजमहल के मीनारों का गिरना काफी नुकशानदायक माना जा रहा था। क्या आप जानते है की ताजमहल किस चीज बनवाया गया था। 


 ताजमहल का इतिहास

हम सब जानते है की ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया। था पर क्यों बनवाया था आइये जानते है। दरअशल ताजमहल शाहजहाँ की तीसरी वेगम मुमताज महल की मज़ार है। मुमताज के गुजरने के बाद शाहजहाँ ने मुमताज के याद में ताजमहल बनवाया था। ऐसा कहा है की मुमताज मरते समय एक मकबरा बनाने की ख्वाहिश जताई थी।  


उसके बाद शाहजहाँ ने बगदाद और तुर्की से कारीगर बुवाये जो की पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था और दूसरे कारीगर  बुलवाया था ,जो की संगमरमर के फूलों को तराशने में दक्ष था बहुत से जगहों से अलग-अलग प्रकार के कारीगरों को बुलवाया गया था ,जो की इन ताजमहल बनाने में अपना योगदान दिया था.और इस तरह कुछ शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया। ताजमहल का निर्माण 1630 ईसा में शुरू हुआ था और लगभग 22 सालों में बन कर तैयार हुआ था। ताजमहल को सफ़ेद संगमरमर से बनवाया गया है, जिसमें में अनेक प्रकार के पत्थरे जैसे जेड ,लापीस लजुली ,क्रिस्टल है।   


इसका केंद्रीय गुबंद 240 फ़ीट (73 मिटेर)  की ऊंचाई तक पहुँचता है इसके चारों कोनों  पर चार मीनारे है . मकबरे में धनुषाकार प्रवेश द्वार पर कुरान से कुछ छंद सुलेख़ में अंकित किये गए है। यमुना नदी के किनारें सफ़ेद पत्थरों से निर्मित अलैकिक सुंदरता की तस्वीर `ताजमहल ` न केवल भारत में ,बल्कि पुरे विश्व में अपना पहचान बना चुका है। इस प्यार की निशानी को देखने दूर- दूर से लोग आते है।

   

ताजमहल को बनाने में आई  खर्च

भारत की शान माने जाने वाले ताजमहल को बनाने में 32 करोड़ का खर्च आया था। ताजमहल का निर्माण 1631 में शुरू होकर सन 1653 से पूरा हुआ था। ताजमहल का निर्माण के लिए 28 किस्म के पत्थरों का प्रयोग किया गया है ये पत्थर अफगनिस्तान ,रूस ,बगदाद ,तिब्बत और ईरान ,मिश्र और भी कई जगहों से मगाये गए थे।  

ताजमहल के बारे में कुछ रोचक जानकारी

ताजमहल को शाहजहाँ ने अपनी वेगम मुमताज की याद में बनवाया था। और मुमताज की मृत्यु 14 वे बच्चे को जन्म देते हुए हुई थी। ताजमहल को 1983 ई में विश्व धरोहर स्थल में सम्मलित किया गया। 

आपको जान कर हैरानी होगी की दूसरे विश्व युद्ध के समय ताजमहल के चारों ओर बास लगा कर हरे रंग के कपड़े से ढक दिया गया था.ताकि दुश्मनों की नजर इसपर न पड़े।

ताजमहल के निर्माण के समय बादशाह शाहजहाँ ने इसके शिखर पर सोने का कलश लगवाया था।जिसकी लम्बाई 30 फ़ीट 6 इंच थी

आपको जान कर आष्चर्य होगा की ताजमहल लकड़ियों पर खड़ा हुआ है ,यह ऐसी लकड़ीया है जिसे मजबूत रहने के लिए नमी की जरुरत पड़ती है।और ताजमहल को नमी ताजमहल के बाये में यमुना नदी से मिलती है ,अगर ताजमहल को नमी नहीं मिलती तो वह कब का गिर चुका होता।

ताजमहल भारत की सबसे ऊंची मीनार क़ुतुब मीनार से 3 मीटर ऊंचा है। ताज़महल दुनिया की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली इमारत है यहाँ पर प्रतिदिन 12000 से अधिक पर्यटक ताजमहल घूमने आते है उम्मीद करता हु की आप भी एक दिन ताजमहल घुमने जाये। 

ताजमहल का रंग बदलता है सुबह में देखा जाये तो गुलाबी ,रात को दूधिया सफ़ेद और चाँदनी रात को सुनहरा दिखाई देता है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारन ताजमहल हल्का पीला दिखाई देता है। 

सफ़ेद ताजमहल बनाने के बाद शाहजहाँ का सपना था की वह अपने लिए एक काला ताजमहल बनवाये ,लेकिन उनके बेटे औरंगजेब ने उन्हें घर में ही कैद कर दिया और उनका सपना पूरा न हो सका। 

दुनिया के सात अजूबों में ताजमहल तीसरे नंबर पर आता है।                             

 ताजमहल में शाहजहाँ और मुमताज की दो कब्रे है। कहां जाता है कब्रे साल में सिर्फ तीन दिन शाहजहाँ के उर्स के मौके पर आम प्रयटकों के लिए खोली जाती है। पहले ये कब्रे आम प्रयटकों के लिए भी खोली जाती थी, इस कब्रे पर चढ़ावा भी चढ़ाया जाता था. पर अब बंद कर दिया गया है। विशिष्ट अतिथियों को भी असली कब्रे दिखाई जाती है।