सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल(Important questions related to Indus Valley Civilization)
सिंधु घाटी सभ्यता, सिंधु नदी के तट पर मिली थी,इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहते है। इसकी जानकारी के लिए पहली खुदाई हड़प्पा से हुई थी। अत: इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते है।
.सिंधु सभ्यता की जानकारी(Imformation) चार्ल्स मैशन ने (1826 ई.) में दिया था।
.सिंधु सभ्यता का सर्वेक्षण (Survey) जेम्स कनिंघम ने (1853 ई.) में किया था।
.सिंधु घाटी सभ्यता 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली है।
.पुरातत्व विभाग की स्थापना लॉर्ड कर्जन ने 1904 ई. में किया था। जिसके महानिर्देशक सर जॉन मार्शल थे।
.सिंधु सभ्यता का नामकरण जॉन मार्शल ने किया था।
.सिंधु सभ्यता की पहली खुदाई दयाराम साहनी ने की थी।
.सिंधु सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार है।
.सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे पहली शहरी सभ्यता थी।
.सिंधु घाटी सभ्यता का विकास 2500 ईसा पूर्व से लेकर 1750 पूर्व तक हुआ।
.इसकी पूर्वी सीमा उत्तर-प्रदेश के आलमगीरपुर में थी। जो हिंडन नदी के किनारे थी। यज्ञदंत शर्मा के नेतृत्व में इसका उत्खनन हुआ।
.इसकी पक्षिमी सीमा पाकिस्तान के सुतकागेंडोर में थी। जो दाश्क नदी के तट पर थी।
.इसकी उत्तरी सीमा कश्मीर के मांडा में चिनाब नदी के तट पर थी। इसकी खुदाई जगपति जोशी ने 1982 ई. में किया था।
.इसकी दक्षिणी सीमा महाराष्ट्र के दैमाबाद में प्रवरा नदी के तट पर थी। यहाँ से धातु का रथ (इक्का गाड़ी) का प्रमाण मिला था।
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल
.हड़प्पा का प्रमुख स्थल मोंटगोमरी जिला, पंजाब (पाकिस्तान) में अवस्थित है। इसका उत्खननकर्ता दयाराम साहनी और माधोस्वरूप वत्स ने (1921 ई.) में किया था। हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित है।
.मोहनजोदड़ो का प्रमुख स्थल लरकाना जिला, सिंध प्रांत (पाकिस्तान) में अवस्थित है। इसका उत्खननकर्ता राखालदास बनर्जी ने (1922 ई.) में किया था। मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
.कालीबंगा/कालीबंगन का प्रमुख स्थल हनुमागढ़ जिला, राजस्थान (भारत) में अवस्थित है। इसका उत्खननकर्ता बी.बी. लाल और बी.के. थापड़ ने (1961-1969 ई.) में किया था। कालीबंगा घग्घर नदी (सरस्वती नदी) के तट पर स्थित है।
.धौलावीरा का प्रमुख स्थल कच्छ जिला, गुजरात (भारत) में अवस्थित है इसका उत्खननकर्ता रविंद्र सिंह विष्ट ने (1990-1991) में किया था।
.चन्हूदड़ो का प्रमुख स्थल सिंध प्रांत (पाकिस्तान) में अवस्थित है। इसका उत्खननकर्ता गोपाल मजुमदार ने 1931 ई. में किया था। यह सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
.लोथल का प्रमुख अस्थल अहमदाबाद जिला, (भारत) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन रंगनाथ राव ने 1955 ई.\1962 ई. में किया था। लोथल भोगवा नदी के तट पर स्थित है।
.कोटदीजी का प्रमुख स्थल सिंध प्रांत का खैरपुर स्थान (पाकिस्तान) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन फजल अहमद खान ने 1953 ई.में किया था। कोटदीजी सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
.बनवाली का प्रमुख स्थल हिसार जिला,हरियाणा (भारत) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन रविंद्र सिंह विष्ट ने 1974 ई. में किया था। यह सरस्वती (रंगोई) नदी के तट पर स्थित है।
.रोपड़ का प्रमुख स्थल रोपड़ जिला, पंजाब (भारत) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन यज्ञदन्त शर्मा ने 1953-1956 ई. में किया था। यह सतलज नदी के तट पर स्थित है।
.संगपुर का प्रमुख स्थल काठियावाड़ जिला गुजरात, अहमदाबाद (भारत) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन रंगनाथ राव ने (1953 -1954 ई.) में किया था। यह मादर नदी के तट पर स्थित। हैं।
.आलमगीरपुर का प्रमुख स्थल मेरठ जिला,उत्तर प्रदेश में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन यग्दंत शर्मा ने (1958 ई. ) में किया था।आलमगीरपुर हिन्डन नदी के तट पर स्थित है।
.सुतकागेंडोर का प्रमुख स्थल मरकान में समुन्द्र तट किनारे (पाकिस्तान) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन ऑरेंल स्टाईन (R.L.स्टाईन) ने 1927 ई. में किया था. यह दाश्क नदी के तट पर स्थित है।
.सूतकाकोह का प्रमुख स्थल मकरान के समुन्द्र तट पर (पाकिस्तान) में अवस्थित है। इसका उत्त्खनन जॉर्ज डेल्स ने 1962 ई. में किया नथा। यह शादीकोर नदी के तट पर स्थित है।
सिंधु घाटी सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता
इसकी खुदाई दयाराम साहनी ने की। यह रावी नदी के तट पर पाकिस्तान के "माउंट गोमरी" जिला में स्थित है।
पिग्गट में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को एक विस्त्तृत सम्राज्य की जुड़वा राजधानी कहा।
सिंधु सभ्यता से निम्नलिखित वस्तु मिली थी।
1).कुम्हार का चाक
2).अन्नागार
3).श्रमिक आवास
4).मातृदेवी की मूर्ति
5).लकड़ी की ओखली
6).लकड़ी की ताबुत
7).R.H 37 कब्रिस्तान
8).हाथी का कपाल
9).स्वास्तिक चिन्ह
चांदी का सर्वप्रथम प्रयोग हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने किये थे।
मोहनजोदड़ो (1921)
इसकी खुदाई सन् 1921 ई. में राखलदास बनर्जी ने की थी। यह पाकिस्तान के लरकाना जिले में स्थित है। यह सिंधु नदी के तट पर है। यह सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर है। यहाँ मृतकों का एक बहुत बड़ा टीला मिला है।
मोहनजोदड़ो से निम्नलिखित वस्तु मिली थी।
पुरोहित आवास, घर में कुआ, विशाल स्नानागार, अन्नागार, सूती वस्त्र, स्वास्तिक चिन्ह, सबसे चौड़ी सड़क, सभागार, पशुपति शिव, कांसे की नर्तकी, तांबें का ढे़र।
.मोहनजोदड़ो का अन्नागार सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा भवन या इमारत है।
.स्वास्तिक मुहर सर्वाधिक मोहनजोदड़ो से मिला था। जिसका निर्माण शीलखड़ी से हुआ था।
चन्हुदड़ो (1931)
चन्हुदड़ो की खुदाई सन् 1931 ई. में गोपाल मजूमदार ने की। यह पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। यह एक मात्र शहर है, जो दुर्ग रहित है। और यही एक औधोगिक शहर है।
चन्हुदड़ो से निम्नलिखित वस्तु मिली थी।
मेक-अप सामाग्रियां, लिपिस्टिक, शीशा, मनका, गुड़िया, सुई, अलंकृत ईट, बिल्ली का पीछा करता हुआ कुत्ता।
रोपड़ (1553)
रोपड़ की खुदाई यज्ञदत्त शर्मा ने 1953 ई. में किया था। यह पंजाब के सतलंज नदी के किनारे स्थित है।
.रोपड़ में मानव के साथ-साथ उसके पालतू जानवरों का भी शव मिला था।
ऐसा ही शव नव-पाषाण काल में जम्मू-कश्मीर के बुर्जहोम में मिला था ।
बनवाली
बनवाली की खुदाई रविंद्र सिंह ने की थी। यह हरियाणा में स्थित है। इसके समीप रंगोई नदी है। यहाँ जल निकासी की व्यवस्था नहीं थी जिस कारण घरों में सोखता मिला था।
.बनवाली में सड़के टेढ़ी-मेढ़ी थी।
कालीबंगा
.कालीबंगा का अर्थ होता है "काली मिट्टी की चूड़ी"।
.यहाँ से अलंकृत ईट, चूड़ी, जोता हुआ खेत हल और हवन कुँड मिले है।
. यह राजस्थान में सरस्वती नदी के किनारे हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। सरस्वती नदी को घग्घर नदी भी कहा जाता है।
. कालीबंगा की खोज अलमानंद घोष द्वारा की गई थी। इसकी खुदाई B.K. थापड़ तथा B.B. लाल ने की थी।
धौलावीरा
धौलावीरा गुजरात में स्थित है। यह सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है। इसकी खुदाई रविंद्र सिंह ने की थी।
सुरकोटदा
यह गुजरात में स्थित है। यहाँ से कलश शावधान तथा घोड़ों की हड्डी मिली थी। इसकी खुदाई जगपति जोशी ने करवाई थी.
लोथल
लोथल की खुदाई S.R. Rao ने भोगवा नदी के किनारे अहमदाबाद गुजरात में किया था।
.यह सिंधु सभ्यता का बंदरगाह स्थल है।
.यहाँ से गोदिवाड़ा का साक्ष्य मिला था।
.लोथल में घर के दरवाजे़ सड़क की ओर खुलते थे।
.यहाँ फारस की मुहर मिली है, जो विदेशी व्यपार का संकेत है।
.लोथल से युगल शवाधान मिला था, जो सतीप्रथा का प्रतिक है।
रंगपुर
.रंगपुर गुजरात में स्थित है।
.यहाँ से धान के भूसे भी प्राप्त हुए है।
.सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल धौलावीरा है (गुजरात+पाकिस्तान).
.भारत का सबसे बड़ा स्थल राखीगढ़ी (हरियाणा) में स्थित है।
.सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा शहर मोहनजोदड़ो है।
सिंधु सभ्यता का विशेषताएं
सिंधु सभ्यता एक नगरी /शहरी सभ्यता थी। यहाँ की सड़के एक-दूसरे के समकोण(त्रिभुज) पर काटती है। तथा ये पूरब-पक्षिम दिशा में थी,जिससे हवा द्वारा सड़के स्वत: साफ़ हो जाती थी। सिंधु सभ्यता की नालियाँ भी ढ़की हुई थी। यहाँ की अर्थवव्यस्था का मुख्य आधार कृषि था। इसका व्यपार विदेशों से होता था।
सिंधु सभ्यता का समाज 4 वर्गों में बाटा गया था।
1. विद्वान 2. योद्धा
3. व्यपारी एव शिल्पकार
4. श्रमिक
Note:-
.सिंधु सभ्यता का समाज मातृ सत्तात्मक था।
.इनकी लिपि भाव चित्रात्मक थी, जिसे पढ़ा नहीं गया। इस लिपि को दाये और बाये की ओर लिखी जाती थी।
.सिंधु सभ्यता के मुहरों पर सर्वाधिक एक सींग वाले जानवर का चित्र था।
.इनके मुहरों पर गाय तथा सिंह का चित्र नहीं मिला था।
.सिंधु सभ्यता के लोग लोहे से परिचित नहीं थे।
.यहाँ माप-तौल के लिए न्यूनतम बाट 16 Kg का था।
.सिंधु सभ्यता के लोग युद्ध या तलवार से परिचित नहीं थे।
.सिंधु सभ्यता में मिट्टी के बर्तनों में लाल रंग का उपयोग होता था।
.सिन्धुवासी विश्व में कपास के प्रथम उत्पादक थे।
.सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि भी करते थे, पशुपालन भी करते थे.परन्तु उनका मुख्य व्यवसाय व्यपार था।
.सिंधु सभ्यता का विनाश का सबसे बड़ा कारण बाढ़ को माना जाता है।